सहर के शायर
हाथ लगा के छूना मत शोला है जल जाओगे ऐसा क्या है उसमे इतना बिन उसके मर जाओगे धूल चले तूफान उठे गर्दिश में चांद सितारे हों पांव जमीं पे ही रखना वरना फिर डर जाओगे ™️ वो जो पानी पे नसीहतें दे रहा है दुनियां को उसके घर के बाहर का नल कई रोज़ से खुला है ™️ उसके उसूलों के दायरे भी सख्त बहुत हैं भगवान का तो पता नहीं हां भक्त बहुत हैं ™️ कहां भूमिका भावों की मन भी कहां स्थितिगत है कौन उसे समझाने जाए अब सब कुछ तो व्यक्तिगत है पंखों की फड़फड़ाहट दिन भर की आवारगी परिंदों के घर तो होते हैं मियां शहर नहीं होते जिधर भी उड़ के जाएंगे फिर इक नया आशियां ये शहर में तो होते हैं बस शहर के नहीं होते ™️ ये मलाल तो उनको सालता होगा दिल्ली के तो हैं बस दिल्ली में नहीं ™️ भौंरे उलझे हैं रंगों पे तितली गुम है शखों पर ये गुलशन का कारोबार मियां यूं ही थोड़े ठंढा है ™️ वो शख्स भी कितना मासूम था शौकीन था खंडहर में बैठकर महलों की कहानी लिखता है ™️ खामोशियां बहुत तफ़्तीश करता हूं तो कुछ यूं याद आता है हिस्सा जिस्म का कोई हम वहीं पे छोड़ आए हैं गुजरना हो सका मुमकिन तो तलाशेंगे उसे ज
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ReplyDeleteहर कदम, हर पल साथ हैं,
ReplyDeleteदूर होकर भी हम आपके पास हैं,
आपको हो ना हो पर हमे आपकी कसम,
आपकी कमी का हर पल एहसास है॥
Froom
Love Shayari from Shayari Panda